Sunday, 19 January 2020

कोयल और कौवी


कोयल और कौवी


                 एक सुप्रसिद्ध उपवन थावह अनेक प्रकार के पेड़-पौधे और रंग-बिरंगे फूल थेजिससे वह का वातावरण सुखमयशांतिपूर्ण और सुघंधमय रहता थावह अनेक प्रकार के पछियो का बसेरा थाजिनके चहलपहल से वातावरण संगीतमय बन जाता थाउसका आन्नद लेने के लिए लोग दूर-दूर से वह आते थे|

                    उसी उपवन में कोयल और कौवी भी रहते थेकोयल का बसेरा आम का पेड़ थावह अपने बच्चो के साथ अपने घोसले में रहती थीकौवी का बसेरा पीपल का पेड़ थावह भी अपने बच्चो के साथ अपने घोसले में रहती थी|

                    रोज सुबह दोनों दाना चुगने के लिए बाहर जाते और वापस आकार अपने बच्चों का पेट भरते थेकोयल अपने बच्चों को सुलाने के लिए लोरी कु-कु” गातीजिससे वातावरण संगीतमय बन जाता थाकौवी भी अपने बच्चो को सुलाने के लिए लोरी काँव- काँव” गातीकिंतु लोगो को उसकी आवाज कर्कश लगती थीमानो संगीतमय वातावरण में कोई गला फाड़कर रो रहा होजिसके कारण लोग उसे कंकडपत्थर फेककर मारते|

                    एक दिन कौवी ने कोयल से कहाँ, ”बहन जब तुम लोरी गति होतो तुम्हें कोई कुछ नहीं करता हैलेकिन जब मैं लोरी गाती हूँतो लोग मुझे कंकडपत्थर फेककर क्यों मारते हैक्या मेरी समस्या का कोई निवारण नहीं हैं?” यह कहते-कहते कौवी रोने लगीकोयल ने उसे ढाढस बधाया और कहाँ मैं कोई उपाय सोचती हूँ|

                    कोयल ने कौवी से कहाँ, ”बहनवैसे तो हम दिखने में एक सामान हैकिंतु हमारे गुणों में अंतर हैशायद मेरी सुरीली आवाज होने के कारणमैं लोगों को भाती हूँशायद तुम्हारी आवाज लोगो को कर्कश लगती हैंइसलिए वे तुम्हे कंकडपत्थर फेककर मारते हैचूँकि हमारी रचना परमेश्वर ने की हैइसलिए हमें अपन जीवन इसीप्रकार व्यतीत करना हैंकौवी ने दुखी मन से कहाँ, “क्या मेरी समस्या का कोई निवारण नहीं है?” कोयल ने कहाँ, “दुखी मत होक्योकि हर समस्या का हल परमेश्वर ने निकल रखा हैसिर्फ हमें समझने कि जरुरल हैं|”

                    कोयल ने कौवी से कहाँ, “मेरे पास एक उपाय है|” कौवी खुशी से झूम उठी और कहाँ, “बहन जल्दी बताओ वह उपाय क्या है?” 

                    कोयल ने कौवी से कहाँ, “बहनहम कल सुबह जब अपने बच्चों को सुलाने के लिए लोरी गाएंगीतो पहले में कु-कु” गाऊंगी और उसके बाद तुम काँव- काँव” गानाफिर मैंफिर तुमइसी प्रकार हम निरंतर गाएँगेजिससे लोगो को तुम्हारी आवाज कर्कश नहीं लगेगीवे नई धुन कि आगोश झूम उठेंगे और तुम पर कंकडपत्थर नहीं फेकेंगे|

                    दुसरे दिन कौवी ने ऐसा ही कियाएक बार कोयल गातीउसके बाद कौवी गातीजिसके कारण लोगों को और आनंद आने लगाअब पहले से भी ज्यादा लोगउन दोनों की लोरी सुनने के लिए उपवन में आने लगेकोयल और कौवी की दोस्ती लोगो के लिए आश्चर्य का प्रतिक बन गयीअब कौवी को भी कोई तंग नहीं करता था|

सीख

अगर हम अपनी कोई समस्या अपने मित्र या परिजनों या सगे-संबंधियो से सैर करे तोनिश्चय ही उसका समाधान निकल आता हैं|


यह कहानीमानवों पर भी लागू होती हैंक्योकि कुछ मानवों को अपने पूर्व कर्मो के कारण इस जन्म में परमेश्वर द्वारा दण्डित किया जाता हैंअगर वे मानव कौवी कि तरहकिसी महात्मा से अपने दुखों को सैर करे और महात्मा जी द्वारा बताये गए रास्ते पर चलने की शपथ ले तोनिश्चय ही उनके दुखों का निवारण होगाक्योकि परमेश्वर उनकी मदद अवश्य करते हैजो दृढ निश्चय के साथ अपने मंजिल पर अग्रसर होते हैं

No comments:

Post a Comment