कोयल और कौवी
एक सुप्रसिद्ध उपवन था| वह अनेक प्रकार के पेड़-पौधे और रंग-बिरंगे फूल थे| जिससे वह का वातावरण सुखमय, शांतिपूर्ण और सुघंधमय रहता था| वह अनेक प्रकार के पछियो का बसेरा था| जिनके चहल—पहल से वातावरण संगीतमय बन जाता था| उसका आन्नद लेने के लिए लोग दूर-दूर से वह आते थे|
उसी उपवन में कोयल और कौवी भी रहते थे| कोयल का बसेरा आम का पेड़ था| वह अपने बच्चो के साथ अपने घोसले में रहती थी| कौवी का बसेरा पीपल का पेड़ था| वह भी अपने बच्चो के साथ अपने घोसले में रहती थी|
रोज सुबह दोनों दाना चुगने के लिए बाहर जाते और वापस आकार अपने बच्चों का पेट भरते थे| कोयल अपने बच्चों को सुलाने के लिए लोरी “कु-कु” गाती| जिससे वातावरण संगीतमय बन जाता था| कौवी भी अपने बच्चो को सुलाने के लिए लोरी “काँव- काँव” गाती| किंतु लोगो को उसकी आवाज कर्कश लगती थी, मानो संगीतमय वातावरण में कोई गला फाड़कर रो रहा हो| जिसके कारण लोग उसे कंकड, पत्थर फेककर मारते|
एक दिन कौवी ने कोयल से कहाँ, ”बहन जब तुम लोरी गति हो, तो तुम्हें कोई कुछ नहीं करता है| लेकिन जब मैं लोरी गाती हूँ, तो लोग मुझे कंकड, पत्थर फेककर क्यों मारते है? क्या मेरी समस्या का कोई निवारण नहीं हैं?” यह कहते-कहते कौवी रोने लगी| कोयल ने उसे ढाढस बधाया और कहाँ मैं कोई उपाय सोचती हूँ|
कोयल ने कौवी से कहाँ, ”बहन, वैसे तो हम दिखने में एक सामान है| किंतु हमारे गुणों में अंतर है| शायद मेरी सुरीली आवाज होने के कारण, मैं लोगों को भाती हूँ| शायद तुम्हारी आवाज लोगो को कर्कश लगती हैं, इसलिए वे तुम्हे कंकड, पत्थर फेककर मारते है| चूँकि हमारी रचना परमेश्वर ने की है, इसलिए हमें अपन जीवन इसीप्रकार व्यतीत करना हैं| कौवी ने दुखी मन से कहाँ, “क्या मेरी समस्या का कोई निवारण नहीं है?” कोयल ने कहाँ, “दुखी मत हो, क्योकि हर समस्या का हल परमेश्वर ने निकल रखा है| सिर्फ हमें समझने कि जरुरल हैं|”
कोयल ने कौवी से कहाँ, “मेरे पास एक उपाय है|” कौवी खुशी से झूम उठी और कहाँ, “बहन जल्दी बताओ वह उपाय क्या है?”
कोयल ने कौवी से कहाँ, “बहन, हम कल सुबह जब अपने बच्चों को सुलाने के लिए लोरी गाएंगी, तो पहले में “कु-कु” गाऊंगी और उसके बाद तुम “काँव- काँव” गाना| फिर मैं, फिर तुम| इसी प्रकार हम निरंतर गाएँगे, जिससे लोगो को तुम्हारी आवाज कर्कश नहीं लगेगी| वे नई धुन कि आगोश झूम उठेंगे और तुम पर कंकड, पत्थर नहीं फेकेंगे|
दुसरे दिन कौवी ने ऐसा ही किया| एक बार कोयल गाती, उसके बाद कौवी गाती| जिसके कारण लोगों को और आनंद आने लगा| अब पहले से भी ज्यादा लोग, उन दोनों की लोरी सुनने के लिए उपवन में आने लगे| कोयल और कौवी की दोस्ती लोगो के लिए आश्चर्य का प्रतिक बन गयी| अब कौवी को भी कोई तंग नहीं करता था|
सीख
अगर हम अपनी कोई समस्या अपने मित्र या परिजनों या सगे-संबंधियो से सैर करे तो, निश्चय ही उसका समाधान निकल आता हैं|
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