Sunday 15 March 2020
Wednesday 11 March 2020
ऐ नफरत की कैसी है लड़ाई
ऐ नफरत की कैसी है लड़ाई।
जो कहते थे, एक-दूजे को भाई,
मिलकर मनाते थे, हर एक त्योहार,
एक-दूजे के घर जाकर, खाते थे खीर और मिठाई।
आज खड़े है, ले तलवार,
जैसे हो वर्षों की लड़ाई।
ना कॉप रहे है, उनके हाथ,
अपने भाईयों को ही मार,
इतरा रहे है, जैसे जीत ली हो लड़ाई।
जिन घरों में खाते थे, खीर-मिठाई,
उन्हें जलाकर, कर रहे है, अजीब हँसाई।
जो कभी खड़े थे, एक-दूसरे के दुखों में,
आज उनको दुःखी देख, कर रहे है हँसाई।
ऐ नफरत की कैसी है लड़ाई।
ये नफरत, किसने है लगाई?
ऐ नफरत की कैसी है लड़ाई।
जो कहते थे, एक-दूजे को भाई,
मिलकर मनाते थे, हर एक त्योहार,
एक-दूजे के घर जाकर, खाते थे खीर और मिठाई।
आज खड़े है, ले तलवार,
जैसे हो वर्षों की लड़ाई।
ना कॉप रहे है, उनके हाथ,
अपने भाईयों को ही मार,
इतरा रहे है, जैसे जीत ली हो लड़ाई।
जिन घरों में खाते थे, खीर-मिठाई,
उन्हें जलाकर, कर रहे है, अजीब हँसाई।
जो कभी खड़े थे, एक-दूसरे के दुखों में,
आज उनको दुःखी देख, कर रहे है हँसाई।
ऐ नफरत की कैसी है लड़ाई।
ये नफरत, किसने है लगाई?
ऐ नफरत की कैसी है लड़ाई।
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